Hindi Poem of Gopal sing Nepali “Meri dulhan si rato ko”,”मेरी दुल्‍हन सी रातों को …” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरी दुल्‍हन सी रातों को …

 Meri dulhan si rato ko

बदनाम रहे बटमार मगर,

घर तो रखवालों ने लूटा

मेरी दुल्‍हन सी रातों को,

नौलाख सितारों ने लूटा

दो दिन के रैन-बसेरे में,

हर चीज़ चुरायी जाती है

दीपक तो जलता रहता है,

पर रात पराई होती है

गलियों से नैन चुरा लाई,

तस्‍वीर किसी के मुखड़े की

रह गये खुले भर रात नयन,

दिल तो दिलदारों ने लूटा

जुगनू से तारे बड़े लगे,

तारों से सुंदर चाँद लगा

धरती पर जो देखा प्‍यारे

चल रहे चाँद हर नज़र बचा

उड़ रही हवा के साथ नज़र,

दर-से-दर, खिड़की से खिड़की

प्‍यारे मन को रंग बदल-बदल,

रंगीन इशारों ने लूटा

हर शाम गगन में चिपका दी,

तारों के अधरों की पाती

किसने लिख दी, किसको लिख दी,

देखी तो, कही नहीं जाती

कहते तो हैं ये किस्‍मत है,

धरती पर रहने वालों की

पर मेरी किस्‍मत को तो

इन ठंडे अंगारों ने लूटा

जग में दो ही जने मिले,

इनमें रूपयों का नाता है

जाती है किस्‍मत बैठ जहाँ

खोटा सिक्‍का चल जाता है

संगीत छिड़ा है सिक्‍कों का,

फिर मीठी नींद नसीब कहाँ

नींदें तो लूटीं रूपयों ने,

सपना झंकारों ने लूटा

वन में रोने वाला पक्षी

घर लौट शाम को आता है

जग से जानेवाला पक्षी

घर लौट नहीं पर पाता है

ससुराल चली जब डोली तो

बारात दुआरे तक आई

नैहर को लौटी डोली तो,

बेदर्द कहारों ने लूटा ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.