Hindi Poem of Mira Bai “ Mere to girdhar gopal dusro na koi, “ मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

 Mere to girdhar gopal dusro na koi

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई॥

जाके सिर है  मोरपखा  मेरो पति सोई।

तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥

छांड़ि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई॥

संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई॥

चुनरीके किये टूक ओढ़ लीन्हीं लोई।

मोती मूंगे उतार बनमाला पोई॥

अंसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम-बेलि बोई।

अब तो बेल फैल गई आणंद फल होई॥

दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई।

माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई॥

भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई।

दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही॥

 

 

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