Hindi Poem of Gopaldas Neeraj “Dhaniko ke to dhan hai lakho“ , “धनिकों के तो धन हैं लाखों” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धनिकों के तो धन हैं लाखों

Dhaniko ke to dhan hai lakho

 

धनिकों के तो धन हैं लाखों

मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!

कोई पहने माणिक माल

कोई लाल जुड़ावे

कोई रचे महावर मेंहदी

मुतियन मांग भरावे

सोने वाले चांदी वाले

पानी वाले पत्थर वाले

तन के तो लाखों सिंगार हैं

मन के आभूषण बस तुम हो!

धनिकों के तो धन हैं लाखों

मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!

कोई जावे पुरी द्वारिका

कोई ध्यावे काशी

कोई तपे त्रिवेणी संगम

कोई मथुरा वासी

उत्तर-दक्खिन, पूरब-पच्छिम

भीतर बाहर, सब जग जाहर

संतों के सौ-सौ तीरथ हैं

मेरे वृन्दावन बस तुम हो!

धनिकों के तो धन हैं लाखों

मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!

कोई करे गुमान रूप पर

कोई बल पर झूमे

कोई मारे डींग ज्ञान की

कोई धन पर घूमे

काया-माया, जोरू-जाता

जस-अपजस, सुख-दुःख, त्रिय-तापा

जीता मरता जग सौ विधि से

मेरे जन्म-मरण बस तुम हो!

धनिकों के तो धन हैं लाखों

मुझ निर्धन के धन बस तुम हो!

 

 

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