Hindi Poem of Gopaldas Neeraj “Piche“ , “पीछे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पीछे

Piche

गुमनामियों मे रहना, नहीं है कबूल मुझको

चलना नहीं गवारा, बस साया बनके पीछे..

वो दिल मे ही छिपा है, सब जानते हैं लेकिन

क्यूं भागते फ़िरते हैं, दायरो-हरम के पीछे..

अब “दोस्त” मैं कहूं या, उनको कहूं मैं “दुश्मन”

जो मुस्कुरा रहे हैं,खंजर छुपा के अपने पीछे..

तुम चांद बनके जानम, इतराओ चाहे जितना

पर उसको याद रखना, रोशन हो जिसके पीछे..

वो बदगुमा है खुद को, समझे खुशी का कारण

कि मैं चह-चहा रहा हूं, अपने खुदा के पीछे..

इस ज़िन्दगी का मकसद, तब होगा पूरा “नीरज”

जब लोग याद करके, मुस्कायेंगे तेरे पीछे..

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.