Hindi Poem of Jagdish Gupt “  Dhruv tara”,”ध्रुव तारा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ध्रुव तारा

 Dhruv tara

 

एक लघु विश्वास का तारा

सदा उत्तर में उगा रहता

किसी भी प्रश्न के

जो छोड जाती कूल पर आकाश के

तम-वाहिनी आलोक की धारा।

मार्गदर्शक

भावना के हर बटोही का,

उलझ कर जो

नियति के, नागपाशी पंथ से हारा।

शून्य-पथ में थिरकते हर बिंदु को

देता चुनौती,

परिस्थितियों के संचल सप्तर्षियों के बीच

अब भी अडिग है वह

आत्मबल संचित किए सारा।

एक लघु विश्वास का तारा।

 

 

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