Hindi Poem of Jagdish Gupt “  Aankh bhar dekha kaha”,”आँख भर देखा कहाँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आँख भर देखा कहाँ

 Aankh bhar dekha kaha

 

आँख भर देखा कहाँ, आँख भर आई।

अटकी ही रही दीठ

वह हिमगिरी-भाल-पीठ

मेरे ही आँसू के झीने पट ओट छिपी,

देखता रहा बेबस, दी नहीं दिखाई।

आँख भर देखा नहीं, आँख भर आई।

पंक्ति-बद्ध देवदारु

रोमिल, शलथ, दीर्घ चारु

चंदन पर श्यामल कस्तूरी की गन्ध-सी

जलदों की छाया हिम शृंगों पर छाई।

आँख भर देखा कहाँ, आँख भर आई।

शिखरों के पार शिखर

बिंध कर दृग गए बिखर

घाटी के प्म्छी-सी गहरे मन में उतरी

बदरी-केदारमयी मरकत गहराई।

आँख भर देखा कहाँ, आँख भर आई।

 

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