Hindi Poem of Kabir ke dohe “Maya maha thagni ham jani , “माया महा ठगनी हम जानी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

माया महा ठगनी हम जानी -कबीर

Maya maha thagni ham jani -Kabir ke dohe

 

माया महा ठगनी हम जानी।।

तिरगुन फांस लिए कर डोले

बोले मधुरे बानी।।

केसव के कमला वे बैठी

शिव के भवन भवानी।।

पंडा के मूरत वे बैठीं

तीरथ में भई पानी।।

योगी के योगन वे बैठी

राजा के घर रानी।।

काहू के हीरा वे बैठी

काहू के कौड़ी कानी।।

भगतन की भगतिन वे बैठी

बृह्मा के बृह्माणी।।

कहे कबीर सुनो भई साधो

यह सब अकथ कहानी।।

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