Hindi Poem of Kabir ke dohe “Ram Binu tan ko taap na jai , “राम बिनु तन को ताप न जाई” Complete Poem for Class 10 and Class 12

राम बिनु तन को ताप न जाई  -कबीर

Ram Binu tan ko taap na jai -Kabir ke dohe

 

राम बिनु तन को ताप न जाई ।

जल में अगन रही अधिकाई ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना ।

जल में रहहि जलहि बिनु जीना ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा ।

दरसन देहु भाग बड़ मोरा ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला ।

कहै कबीर राम रमूं अकेला ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

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