Hindi Poem of Kunwar Narayan “Ghanti“ , “घंटी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घंटी
Ghanti

फ़ोन की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया

दरवाज़े की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया

अलार्म की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया

एक दिन
मौत की घंटी बजी…
हड़बड़ा कर उठ बैठा-

मैं हूँ… मैं हूँ… मैं हूँ..
मौत ने कहा-
करवट बदल कर सो जाओ।

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