Hindi Poem of Kunwar Narayan “Ye panktiya mere nikat“ , “ये पंक्तियाँ मेरे निकट” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ये पंक्तियाँ मेरे निकट
Ye panktiya mere nikat

ये पंक्तियाँ मेरे निकट आईं नहीं
मैं ही गया उनके निकट
उनको मनाने,
ढीठ, उच्छृंखल अबाध्य इकाइयों को
पास लाने:

कुछ दूर उड़ते बादलों की बेसंवारी रेख,
या खोते, निकलते, डूबते, तिरते
गगन में पक्षियों की पांत लहराती:

अमा से छलछलाती रूप-मदिरा देख
सरिता की सतह पर नाचती लहरें,
बिखरे फूल अल्हड़ वनश्री गाती…

कभी भी पास मेरे नहीं आए:
मैं गया उनके निकट उनको बुलाने,
गैर को अपना बनाने:
क्योंकि मुझमें पिण्डवासी

है कहीं कोई अकेली-सी उदासी
जो कि ऐहिक सिलसिलों से
कुछ संबंध रखती उन परायी पंक्तियों से!

और जिस की गांठ भर मैं बांधता हूं
किसी विधि से
विविध छंदों के कलावों से।

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