Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “dushmano ki dosti hai ab ahle vata ke saath , “दुश्मनों की दोस्ती है अब अहले वतन के साथ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दुश्मनों की दोस्ती है अब अहले वतन के साथ – मजरूह सुल्तानपुरी

dushmano ki dosti hai ab ahle vata ke saath – Majruh Sultanpuri

 

दुश्मनों की दोस्ती है अब अहले वतन के साथ
है अब खिजाँ चमन मे नये पैराहन के साथ

सर पर हवाए जुल्म चले सौ जतन के साथ
अपनी कुलाह कज है उसी बांकपन के साथ

किसने कहा कि टूट गया खंज़रे फिरंग
सीने पे जख्मे नौ भी है दागे कुहन के साथ

झोंके जो लग रहे हैं नसीमे बहार के
जुम्बिश में है कफस भी असीरे चमन के साथ

मजरूह काफले कि मेरे दास्ताँ ये है
रहबर ने मिल के लूट लिया राहजन के साथ

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