Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Tumhare saath rahkar“ , “तुम्हारे साथ रहकर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम्हारे साथ रहकर

 Tumhare saath rahkar

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है

कि दिशाएँ पास आ गयी हैं,

हर रास्ता छोटा हो गया है,

दुनिया सिमटकर

एक आँगन-सी बन गयी है

जो खचाखच भरा है,

कहीं भी एकान्त नहीं

न बाहर, न भीतर।

हर चीज़ का आकार घट गया है,

पेड़ इतने छोटे हो गये हैं

कि मैं उनके शीश पर हाथ रख

आशीष दे सकता हूँ,

आकाश छाती से टकराता है,

मैं जब चाहूँ बादलों में मुँह छिपा सकता हूँ।

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे महसूस हुआ है

कि हर बात का एक मतलब होता है,

यहाँ तक की घास के हिलने का भी,

हवा का खिड़की से आने का,

और धूप का दीवार पर

चढ़कर चले जाने का।

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे लगा है

कि हम असमर्थताओं से नहीं

सम्भावनाओं से घिरे हैं,

हर दिवार में द्वार बन सकता है

और हर द्वार से पूरा का पूरा

पहाड़ गुज़र सकता है।

शक्ति अगर सीमित है

तो हर चीज़ अशक्त भी है,

भुजाएँ अगर छोटी हैं,

तो सागर भी सिमटा हुआ है,

सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है,

जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है

वह नियति की नहीं मेरी है।

 

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