Hindi Poem of Pradeep “Amrit aur jahar dono hai sagar me ek saath, “अमृत और ज़हर दोनों हैं सागर में एक साथ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अमृत और ज़हर दोनों हैं सागर में एक साथ

Amrit aur jahar dono hai sagar me ek saath

 

अमृत और ज़हर दोनों हैं सागर में एक साथ

मंथन का अधिकार है सबको फल प्रभु तेरे हाथ

तेरे फूलों से भी प्यार

तेरे काँटों से भी प्यार

जो भी देना चाहे देदे करतार

दुनिया के तारनहार

तेरे फूलों से भी प्यार

चाहे सुख दे या दुःख, चाहे ख़ुशी दे या गम

मालिक जैसे भी रखेगा वैसे रह लेंगे हम

चाहे हंसी भरा संसार दे या आंसुओं की धार

दो भी देना चाहे देदे करतार

दुनिया के तारनहार

हमको दोनों हैं पसंद तेरी धूप और छाँव

दाता किसी भी दिशा में ले चल ज़िन्दगी की नाव

चाहे हमें लगा दे पार डूबा दे चाहे हमे मझधार

दो भी देना चाहे देदे करतार

दुनिया के तारनहार

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