Hindi Poem of Nander Sharma “  Suraj dub gya balli bhar”,”सूरज डूब गया बल्ली भर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूरज डूब गया बल्ली भर

 Suraj dub gya balli bhar

 

सूरज डूब गया बल्ली भर

सागर के अथाह जल में।

एक बाँस भर उठ आया है

चांद, ताड के जंगल में।

अगणित उंगली खोल, ताड के पत्र, चांदनी में डोले,

ऐसा लगा, ताड का जंगल सोया रजत-छत्र खोले

कौन कहे, मन कहाँ-कहाँ

हो आया, आज एक पल में।

बनता मन का मुकुर इंदु, जो मौन गगन में ही रहता,

बनता मन का मुकुर सिंधु, जो गरज-गरज कर कुछ कहता,

शशि बनकर मन चढा गगन पर,

रवि बन छिपा सिंधु तल में।

परिक्रमा कर रहा किसी की, मन बन चांद और सूरज,

सिंधु किसी का हृदय-दोल है, देह किसी की है भू-रज

मन को खेल खिलाता कोई,

निशि दिन के छाया-छल में।

 

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