Hindi Poem of Om Prabhakar “  Doob gya din”,”डूब गया दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

डूब गया दिन

 Doob gya din

 

डूब गया दिन

जब तक पहुँचे तेरे द्वारे।

एक धुँधलका छाया ओर-पास

धूप गाँव-बाहर की छूट गई,

छप्पर-बैठक सब बिल्कुल उदास

पगडंडी दरवाज़े टूट गई,

भारी था मन

हम थे काफ़ी टूटे-हारे।

सूना आँगन, सूनी तिद्वारी

तुलसी का चौरा सूना-सूना।

ऐसे सूनेपन में हमें हुआ

ख़ुद साँसें लेते में दुख दूना।

चौका-बासन

छतें, छज्जे सब अँधियारे।

धीरे-धीरे आँचल ओट किए

भीतर से दीप लिए तुम आईं।

संग-संग एक मौन ज्योति-पुंज

संग-संग एक मलिन परछाईं।

सिहरा आँगन

सिहरे हम, सिहरे गलियारे।

 

 

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