Hindi Poem of Nida Fazli “  Aaj jara fursat pai thi”,”आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी

 Aaj jara fursat pai thi

 

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया

बंद गली के आख़िरी घर को खोल के फिर आबाद किया

खोल के खिड़की चाँद हँसा फिर चाँद ने दोनों हाथों से

रंग उड़ाए फूल खिलाए चिड़ियों को आज़ाद किया

बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में

छोटी छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया

बात बहुत मामूली सी थी उलझ गई तकरारों में

एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बर्बाद किया

दानाओं की बात न मानी काम आई नादानी ही

सुना हवा को पढ़ा नदी को मौसम को उस्ताद किया

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