Hindi Poem of Nida Fazli “  Kuch tabiyat hi mili thi”,”कुछ तबीयत ही मिली थी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ तबीयत ही मिली थी

 Kuch tabiyat hi mili thi

 

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई

जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई

जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला

रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई

दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा

बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई

वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला

दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई

 

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