Hindi Poem of Nida Fazli “  Apni marji se kaha apne safar ke hum he”,”अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

 Apni marji se kaha apne safar ke hum he

 

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक

किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब

सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम

हर क़लमकार की बेनाम ख़बर के हम हैं

 

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