Hindi Poem of Nida Fazli “ Uth ke kapde badal”,”उठ के कपड़े बदल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उठ के कपड़े बदल

 Uth ke kapde badal

 

उठ के कपड़े बदल

घर से बाहर निकल

जो हुआ सो हुआ॥

जब तलक साँस है

भूख है प्यास है

ये ही इतिहास है

रख के कांधे पे हल

खेत की ओर चल

जो हुआ सो हुआ॥

खून से तर-ब-तर

कर के हर राहगुज़र

थक चुके जानवर

लकड़ियों की तरह

फिर से चूल्हे में जल

जो हुआ सो हुआ॥

जो मरा क्यों मरा

जो जला क्यों जला

जो लुटा क्यों लुटा

मुद्दतों से हैं गुम

इन सवालों के हल

जो हुआ सो हुआ॥

मंदिरों में भजन

मस्ज़िदों में अज़ाँ

आदमी है कहाँ

आदमी के लिए

एक ताज़ा ग़ज़ल

जो हुआ सो हुआ।।

 

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