Hindi Poem of Om Prabhakar “  Kitni Khushlafz th thi teri awaz ”,”कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़

 Kitni Khushlafz th thi teri awaz 

 

कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़

अब सुनाए कोई वही आवाज़।

ढूँढ़ता हूँ मैं आज भी तुझमें

काँपते लब, छुई-मुई आवाज़।

शाम की छत पे कितनी रौशन थी

तेरी आँखों की सुरमई आवाज़।

जिस्म पर लम्स चाँदनी शब का

लिखता रहता था मख़मली आवाज़।

ऎसा सुनते हैं, पहले आती थी

तेरे हँसने की नुक़रई आवाज़।

अब इसी शोर को निचोड़ूँगा

मैं पियूँगा छनी हुई आवाज़।

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