Hindi Poem of Dushyant Kumar “  Ghantiyo ki awaz kano tak pahuchti hai“ , “घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुंचती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुंचती है

 Ghantiyo ki awaz kano tak pahuchti hai

 

घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुँचती है

एक नदी जैसे दहानों तक पहुँचती है

अब इसे क्या नाम दें, ये बेल देखो तो

कल उगी थी आज शानों तक पहुँचती है

खिड़कियां, नाचीज़ गलियों से मुख़ातिब है

अब लपट शायद मकानों तक पहुँचती है

आशियाने को सजाओ तो समझ लेना,

बरक कैसे आशियानों तक पहुँचती है

तुम हमेशा बदहवासी में गुज़रते हो,

बात अपनों से बिगानों तक पहुँचती है

सिर्फ़ आंखें ही बची हैं चँद चेहरों में

बेज़ुबां सूरत, जुबानों तक पहुँचती है

अब मुअज़न की सदाएं कौन सुनता है

चीख़-चिल्लाहट अज़ानों तक पहुँचती है

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