Hindi Poem of Pradeep’“Mere man hanste hue chal , “मेरे मन हँसते हुए चल ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मेरे मन हँसते हुए चल – प्रदीप

Mere man hanste hue chal -Pradeep

आज नहीं तो कल बिखर जायेंगे ये बादल

 हँसते हुए चल

 मेरे मन हँसते हुए चल

 बीती हुई बातों पे

 बीती हुई बातों पे अब रोने से क्या फल

 हँसते हुए चल

 मेरे मन हँसते हुए चल

 गुज़र चुका है जो ज़माना

 गुज़र चुका है जो ज़माना

 तू भूल जा उसकी धुन

 जो आनेवाले दिन हैं

 उनकी आवाज़ को सुन

 मुझे पता है बड़े बड़े

 तूफ़ान हैं तेरे सामने

 खुशी खुशी तू सहता जा

 जो कुछ भी दिया है राम ने

 अपनी तरह कितनों के

 यहाँ टूट चुके हैं महल

 हँसते हुए चल

 मेरे मन हँसते हुए चल

 फूलों का सेहरा बाँधनेवाले

 इस दुनिया में अनेक

 जो काँटों का ताज पहन ले

 वो लाखों में एक

 मेरे मन वो लाखों में एक

 गिरे बिजलियां गिरे बिजलियां

 गिरे बिजलियां फिर भी अपनी

 टेक से तू मत टल

 हँसते हुए चल

 मेरे मन हँसते हुए चल

 मेरी मुहब्बत आज जलाना

 सम्भल के ज़रा चिराग

 मेरी मुहब्बत आज जलाना

 सम्भल के ज़रा चिराग

 मैं काग़ज़ के घर में बैठी

 लग न जाये आग

 लग न जाये आग मेरी क़िस्मत में

 लग न जाये दाग मेरी इज़्ज़त में

 इस देश की नारी को

 इस देश की नारी को

 कोई कह न दे दुरबल

 हँसते हुए चल

 मेरे मन हँसते हुए चल

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.