Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Admay”,”अदम्य” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अदम्य

 Admay

 

धरती तल में उगी घास

यों ही अनायास,

पलती रही धरती के क्रोड़ में,

मटीले आँचल में .

हाथ-पाँव फैलाती आसपास .

मौसमी फूल नहीं हूँ

कि,यत्न से रोपी जाऊँ, पोसी जाऊँ!

हर तरह से, रोकना चाहा, .

कि हट जाऊँ मैं,

धरती माँ का आँचल पाट कर ईंटों से

कि कहीं जगह न पाऊँ .

पर कौन रोक पाया मुझे?

जहाँ जगह मिली

सँधों में जमें माटी कणों से

फिर-फिर फूट आई.

सिर उठा चली आऊँगी,

जहाँ तहाँ, यहाँ -वहाँ,

आहत भले होऊँ

हत नहीं होती,

झेल कर आघात,

जीना सीख लिया है,

उपेक्षाओँ के बीच

अदम्य हूँ मैं!

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