Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Maa ri bula ek baar”,”माँ री, बुला एक बार!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

माँ री, बुला एक बार!

Maa ri bula ek baar

 

 

फिर से उसी घर में थोड़ा थोड़ा-सा रह लूँ माँ री, बुला एक बार!

ससुरे के आँगन में पड़ने लगे जब से सावन की बदरी की छाया,

कुंडी दुआरे की खटके जरा, यों लगे कोई मैके से आया!

पग को तो बिछुये महावर नें बाँधा, सासुर की देहरी पहाड़!

काहे को बिटिया जनम दिये मइया,क्यों सात फेरों में बाँधा

इतनी अरज मेरी सुन लीजो बीरन टूटे न मइके का धागा!

भौजी मैं चाहूँ न सोना, न चाँदी, तुम्हरा तिनक भर दुलार!

निमिया के झूले से नीचे उतारी, छिनी सारी बचपन की सखियाँ,

ऐसा न कोई दिखे जिससे कह पाऊं खुल के मैं सुख-दुख की बतियाँ!

ननदी करे अपने भइया को रोचना मन को सकूँ ना सम्हार!

होकर परायी, नयन नीर भर, पार कर आई निबहुर डगरिया

तूने भी भैया पलट के न देखी कैसी बहन की नगरिया!

काहे को बाबुल सरगवास कीन्हा, छोड़ी धिया बीच धार!

माँ री, बुला एक बार ….!

 

 

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