Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Ek janam  ”,” एक जनम” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक जनम

Ek janam  

 

मुक्ति नहीं,

एक जनम, मगन-मगन,!

तन्मय विशेष

कुछ न शेष.

पूर्ण लीन,

मात्र अनुरक्ति

हो असीम तृप्ति,

सिक्त मन-गगन

एक जनम .

धरा हो ऋतंभरा,

जीवन संतृप्ति भरा

तन, मन विभोर

निरखें दृग कोर,

मेघ वन-सघन .

एक जनम!

मुक्ति नहीं,

हो अनन्त राग,

विरहित विराग.

लहर-लहर दीप,

सिहर-सिहर प्रीत

नृत्य-रत किरन.

एक जनम!

भर-पुरे अस्त उदय

भाव-भेद शमित,

परम तोष,

शमित ताप.

स्निग्ध दीप्तिमय गगन.

एक जनम,

मुक्ति नहीं,

परम परिपूर्ण मगन,

लघु भले कि लघुत्तम

एक जनम.

जनम-जनम की मिटे थकन

एक जनम!

 

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