Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Jevan kavar”,”जीवन-काँवर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जीवन-काँवर

 Jevan kavar

 

भौतिकता और चेतना के दो घटवाली जीवन-काँवर,

लेकर आता है जीव, श्वास की त्रिगुण डोर में अटका कर,

हर बार नये ही निर्धारण, काँवरिये की यात्रा के पथ

चक्रिल राहों पर भरमाता, देता फिर बरस-बरस भाँवर .

घट में धारण कर लिया आस्था-विश्वासों का संचित जल

अर्पित कर महाकाल को फिर, चल देता अपने नियतस्थल!

 

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