Hindi Poem of Rakesh Khandelwal “Jaise chand geet mein rehta , “जैसे छंद गीत में रहता ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जैसे छंद गीत में रहता – राकेश खंडेलवाल

Jaise chand geet mein rehta – Rakesh Khandelwal

 

जैसे छंद गीत में रहता, मंदिर में रहता गंगाजल
मीत बसे हो तुम कविता में लहराते सुधियों का आँचल

बच्चन ने तुमको देखा तो निशा निमंत्रण लिख डाला था
रूप सुधा पीकर दिनकर ने काव्य उर्वशी रच डाला था
कामायनी उदित हो पाई सिर्फ़ प्रेरणा पाकर तुमसे
प्रिय-प्रवास का मधुर सोमरस तुमने प्यालों में ढाला था
एक तुम्हारी छवि है अंकित काव्यवीथियों के मोड़ों पर
बसी हुई कल्पना सरित में बसा नयन में जैसे काजल

मन के मेरे चित्रकार की तुम्ही प्रिये कूची सतरंगी
तुम अषाढ़ का प्रथम मेघ हो, तुम हो अभिलाषा तन्वंगी
तुम कलियों का प्रथम जागरण,तुम हो मलयज की अँगड़ाई
तुम दहले पलाश सी, मन में छेड़ रहीं अभिनव सारंगी
पा सान्निध्य तुम्हारा, पूनम हो जाती है, मावस काली
खनक रही मेरे गीतों में मीत तुम्हारे पग की पायल

तुम गीतों का प्रथम छंद हो, तुम उन्वान गज़ल का मेरी
तुमने मेरे शिल्पकार की छैनी बन प्रतिमायें चितेरी
वेद ॠचा के गुंजित मंत्रों का आह्वान बनीं तुम प्रतिपल
तुमने आशा दीप जला कर ज्योतित की हर राह अंधेरी
तुम गायन की प्रथम तान हो, तुम उपासना हो साधक की
बासन्ती कर रहा उमंगें शतरूपे यह धानी आँचल

जैसे छंद गीत में रहता, मंदिर में रहता गंगाजल
मीत बसे हो तुम कविता में लहराते सुधियों का आँचल

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