Hindi Poem of Rakesh Khandelwal “Shankh ne goonj kar shabd nabh par likha , “शंख ने गूँज कर शब्द नभ पर लिखा ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

शंख ने गूँज कर शब्द नभ पर लिखा – राकेश खंडेलवाल

Shankh ne goonj kar shabd nabh par likha – Rakesh Khandelwal

 

एक अंकुर हुआ भोर का प्रस्फ़ुटित
यों लगा ये धरा जगमगाने लगी

रात को पी गई एक उजली किरन
इक नये रंग में ढल उषा सज गई
पंछियों ने कहा मुस्कुराते हुए
चांद ने बात जो थी दिशा से कही
झील में से उमड़ता हुआ, नीर को,
सूर्य, पिघला हुआ स्वर्ण करता हुआ
और दिन का टँगे कैनवस पर नया
चित्र रंगों में सजता सँवरता हुआ

खेत ने था पुकारा, महज इसलिये
पायलें गीत पथ को सुनाने लगीं

फूल की पांखुरी पर थिरकती हुई
रात भर जो पिघल कर बही चाँदनी
सातरंगी लिये तूलिका लिख रही
मलयजी गंध की इक मधुर रागिनी
घाट वाराणसी के सजग हो उठे
मंत्र के शब्द जीवंत करते हुए
और उन्नत ललाटों पे अंकित हुए
रोलियाँ और चंदन निखरते हुए

आरती, प्रज्वलित दीप की ज्योति के
राग के साथ स्वर को मिलानेलगी

शंख ने गूँज कर शब्द नभ पर लिखा
पट खुले मंदिरों के महाकाल के
कोशिशों में अगरबत्तियां-धूप हैं
लेख विधना के बदलें लिखे भाल के
उठ अजानें चलीं एक मीनार से
चर्च से सरगमें घंटियों की बहीं
ग्रंथसाहिब से उठती गुरुवाणियों
से सुगन्धित हुई नवदिवस की कली

आस्थायें जगी लेके संकल्प को
अपनी अँगनाई रसमय बनाने लगीं

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