Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Shabd hi he mantra”,” शब्द ही हैं मन्त्र” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शब्द ही हैं मन्त्र

 Shabd hi he mantra

 

झील में वे हंस से तिरते शिकारे,

अप्सराएँ नाव फूलों से सँवारे!

घाटियों में भर कुहासा, कुहुक पढ़तीं

एक माया-लोक की रचना अनोखी,

रंग पूरित, गंध वासित,

जुगनुओं से टाँक पट झीना,

धरा – नभ को मिलाती,

हिम- कणों युत, हरित-वसना.

मोतियों से जड़ा पन्ना,

सिहरते केशर -पुलक में

रेशमी सन्ध्या-सकारे!

जहाँ जीवन था बना भारी समस्या,

सतीसर जल-राशि, कश्यप की तपस्या,

प्रतिफलित इस रम्य धरती में हुआ,

कश्मीर रूपायित, रुचिर स्वार्गिक जगत सा!

रचा विल्हण ने यहाँ इतिहास पहला,

नाम झेलम की तरंगों पर दिया रे!

शाक्त, शैवों, सूफ़ियों के गूँजते स्वर,

और ललितादित्य का मार्तण्ड मन्दिर,

प्रति प्रहर नव-रंग मे क्षीरा-भवानी,

नागअर्जुन बोधिसत्व हुए यहीं पर!

बाल हज़रत के सुरक्षित रख सका जो

प्रेम, करुणा औ शुभाशंसा सहारे!

मनुज-संस्कृति-स्वर्ण को कुन्दन बनाती,

बंग से गान्धार तक को जा मिलाती,

भारती के वरद-पुत्रों की सुचिन्ता,

चीन औ’ जापान तक को जगमगाती.,

सुचित होकर शान्त-चिन्तन को जहाँ पर,

विश्व-पीड़ा-भार व्याकुल, स्वयं प्रभु ईसा पधारे!

एक झोंका बर्बरों की पाशवी उन्मत्तता का,

टूट बिखरीं सहस्रों संवत्सरों की साधनायें,

उस समृद्ध अतीत से वंचित भविष्य हुआ सदा को

धूल बन कर उड़ गईं यों विश्व की आकांक्षायें!

सूर्य-किरणें ताप खो होतीं सुशीतल सौम्यता भर,

उसी धरती पर बिछे पग-पग अँगारे!

मान लो यह, मानना होगा किसी दिन,

विश्व-मंगल हेतु उपजे धर्म सारे!

धर्म भाषा रहे कोई, शब्द जो शिव और सुन्दर,

शारदा वागीश्वरी की वन्दना के मन्त्र सारे!

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