Hindi Poem of Ramavtar Tyagi “Tan bachane chale the , “तन बचाने चले थे ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

तन बचाने चले थे – रामावतार त्यागी

Tan bachane chale the -Ramavtar Tyagi

 

तन बचाने चले थे कि मन खो गया
एक मिट्टी के पीछे रतन खो गया

घर वही, तुम वही, मैं वही, सब वही
और सब कुछ है वातावरण खो गया

यह शहर पा लिया, वह शहर पा लिया
गाँव का जो दिया था वचन खो गया

जो हज़ारों चमन से महकदार था
क्या किसी से कहें वह सुमन खो गया

दोस्ती का सभी ब्याज़ जब खा चुके
तब पता यह चला, मूलधन ही खो गया

यह जमीं तो कभी भी हमारी न थी
यह हमारा तुम्हारा गगन भी अब खो गया

हमने पढ़कर जिसे प्यार सीखा था कभी
एक गलती से वह व्याकरण भी खो गया.

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