Hindi Poem of Raskhan’“Kanha bhaye bas bansuri ke, “कान्ह भये बस बाँसुरी के ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान

Kanha bhaye bas bansuri ke -Raskhan

 

कान्ह भये बस बाँसुरी के, अब कौन सखी हमको चहिहै।

 निसि द्यौस रहे यह आस लगी, यह सौतिन सांसत को सहिहै।

 जिन मोहि लियो मनमोहन को, ‘रसखानि’ सु क्यों न हमैं दहिहै।

 मिलि आवो सबै कहुं भाग चलैं, अब तो ब्रज में बाँसुरी रहिहै।

 

 

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