Hindi Poem of Rituraj “Lahar“ , “लहर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लहर

 Lahar

द्वार के भीतर द्वार

द्वार और द्वार

और सबके अंत में एक नन्हीं मछली

जिसे हवा की ज़रूरत है

प्रत्येक द्वार

में अकेलापन भरा है

प्रत्येक द्वार में

प्रेम का एक चिह्न है

जिसे उल्टा पढ़ने पर मछली

मछली नहीं रहती है आँख हो जाती है

आँख

आँख नहीं रहती है

आँसू बनकर चल देती है बाहर

हवा की तलाश में

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