Hindi Poem of Rituraj “Ek bar me sab kuch“ , “एक बार में सब कुछ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक बार में सब कुछ

 Ek bar me sab kuch

कुछ भी छोड़कर मत जाओ इस संसार में

अपना नाम तक भी

वे अपने शोधार्थियों के साथ

कुछ ऐसा अनुचित करेंगे कि तुम्हारे नाम की संलिप्तता

उनमें नज़र आएगी

कुछ भी छोड़ना होता है जब परछाई को

या आत्मा जैसी हवा को तो वह एक सूखे पत्ते को

इस तरह उलट-पुलट कर देती है

जैसे वह ख़ुद यों ही हो गया हो

ऐसी जगह लौटने का तो सवाल ही नहीं है

क्योंकि तुम्हारे बाद तुम्हारी तस्वीर के फ़्रेम में

किसी कुत्ते की फोटो लगी होगी

माना कि तुमने एक कुत्ता-ज़िन्दगी जी है

लेकिन कुछ कुत्तों ने तुमसे लाख दर्जे अच्छे दिन देखें हैं

ऐसी जगह न तो छोड़ना ही है कुछ और न लौटना ही है कभी

पुनर्प्राप्ति की आशा में

ज़िन्दगी की ऊबड़-खाबड़ स्लेट पर लिखीं सभी महत्वाकाँक्षाएँ

मिट जाएँगी पानी फिर जाएगा दुनियादारी से अर्जित किए

विश्वासों पर और पानी नहीं तो धूल ही ढक लेगी उन्हें

क्योंकि तुम्हारे साथ और तुमसे पीछे चलने वाले

बहुत दूर निकल चुके हैं

अब तो फूलमालाएँ उनके पीछे-पीछे आती हैं

और वे अस्वीकार करने के स्वाभिमान और दर्प का

प्रदर्शन करने में लगे हैं ।

तुम्हारे पास त्यागने के लिए कुछ भी नहीं हैं

सिवाय इस शरीर के

उन्हें शायद पता है कि यह वैज्ञानिक परीक्षण के लिए

सर्वथा अनुपयुक्त है क्योंकि इसके कई अंग

गायब हो चुके हैं ।

 

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