Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Me zindagi ka sath nibhata chala gya “ , “मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया

Me zindagi ka sath nibhata chala gya 

मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया

हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

बरबादियों का सोग़ मनाना फ़ुजूल था

बरबादियों का जश्न मनाता चला गया

जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया

जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ

मैं दिल को उस मुक़ाम पर लाता चला गया

 

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