Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Zindagi bhar nahi bhulegi vo barsat ki raat” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

 Zindagi bhar nahi bhulegi vo barsat ki raat

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

एक अनजान हसीना से मुलाक़ात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी …

हाय वो रेशमी ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी

फूल से गालों पे रुकने को तरसता पानी

दिल में तूफ़ान उठाते हुए

दिल में तूफ़ान उठाते हुए हालात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी …

डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका

और फिर शर्म से बल खाके सिमटना उसका

कभी देखी न सुनी ऐसी हो

कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी …

सुर्ख आँचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने

दिल पे जलता हुआ एक तीर-सा छोड़ा उसने

आग पानी में लगाते हुए

आग पानी में लगाते हुए जज़बात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी …

मेरे नग़्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो

नौजवानी के हसीं ख़्वाब की ताबीर थी वो

आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी …

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

एक अनजान मुसाफ़िर से मुलाक़ात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

हाय जिस रात मेरे दिल ने धड़कना सीखा

शोख़ जज़बात ने सीने में भड़कना सीखा

मेरी तक़दीर में निखरी हुई, हो

मेरी तक़दीर में निखरी हुई सरमात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

दिल ने जब प्यार के रंगीन फ़साने छेड़े

आँखों-आँखों ने वफ़ाओं के तराने छेड़े

सोज़ में डूब गई आज वही

सोज़ में डूब गई आज वही नग़्मात की रात

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

रूठनेवाली!

रूठनेवाली मेरी बात पे मायूस ना हो

बहके-बहके ख़्यालात से मायूस ना हो

ख़त्म होगी ना कभी तेरे, हो

ख़त्म होगी ना कभी तेरे मेरे साथ की रात

ज़िंदगी भर नहीं …

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