Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Hara aur pila“ , “हरा और पीला” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हरा और पीला

 Hara aur pila

चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ

फैले हरे पर

क्यों सिमटी पीली रेखा –

मैंने ख़ुद को

तुम्हारी आँखों में देखा |

बाल मैं नहीं हूँ

लहराते धान का खेत में

जो कलगी बन जाऊँ

दृश्य जगत का सेत-मेत में

डंठल हूँ

इधर लेटा, उधर देता हूँ,

चारा हूँ पशुओं का

मत कहो प्रणेता हूँ |

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