Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Aaj Pahli bar“ , “आज पहली बार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज पहली बार

 Aaj Pahli bar

आज पहली बार

थकी शीतल हवा ने

शीश मेरा उठा कर

चुपचाप अपनी गोद में रक्खा,

और जलते हुए मस्तक पर

काँपता सा हाथ रख कर कहा-

“सुनो, मैं भी पराजित हूँ

सुनो, मैं भी बहुत भटकी हूँ

सुनो, मेरा भी नहीं कोई

सुनो, मैं भी कहीं अटकी हूँ

पर न जाने क्यों

पराजय नें मुझे शीतल किया

और हर भटकाव ने गति दी;

नहीं कोई था

इसी से सब हो गए मेरे

मैं स्वयं को बाँटती ही फिरी

किसी ने मुझको नहीं यति दी”

लगा मुझको उठा कर कोई खडा कर गया

और मेरे दर्द को मुझसे बड़ा कर गया।

आज पहली बार।

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