Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Ghav“ , “घाव” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घाव

 Ghav

ऐसे मत छुओ घाव को

घाव को पहले मन में बसाओ

उतारो धीरे-धीरे हाथों में

उंगलियों तक ले आओ धीरे-धीरे

छुओ, फिर छुओ घाव को घाव की तरह

आँखों से कहाँ दिखता है घाव

अनुभव में होता है वह

शब्द की तरह कविता में आने से पहले

कविता में शब्द की राह से आते अनुभव की तरह

घाव में उतरो

ऐसे मत छुओ घाव को

तीमारदार स्थितियों

तुम्हारी मुस्कान कहाँ चली गई

कहाँ चला गया तुम्हारा संस्पर्श

कहाँ गया वह बोध

तुम्हे संस्पर्श में जन्मता है जो

घाव को छूने से पहले उसे वापस लाओ

ऐसे मत छुओ

कि घाव है आखिर

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