Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “Nafrat ka mahol“ , “नफ़रत का माहौल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नफ़रत का माहौल

 Nafrat ka mahol

मुहब्बत के खिलाफ़

लामबंद तहजीब का मज़ाक जारी है

जारी है फिर भी

फूलों का खिलना

बर्फ़ का गिरना

धूप का हँसना

और अँधेरे का खिलखिलाना

पहाड़ों की रंगत बरकरार है पहले की तरह

पहले की तरह बरकरार है नदियों की रफ़्तार

झरनों की ललकार बरकरार है पहले की तरह

जानवरों की नीद में खलल पड़ रहा है इसके वावजूद

इसके वावजूद बच्चे संजीदा हुए हैं रह-रहकर

औरतें ज़रूरत से ज़्याद ख़ामोश होती गई हैं इसके वावजूद

मुहब्बत के खिलाफ़

लामबंद तहजीब का मज़ाक जारी है

 

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