Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “Mochi ki aankho me“ , “मोची  की आँखों में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मोची  की आँखों में

 Mochi ki aankho me

आँखें उठी हुई हैं

आदम कद आस्था कि एक स्त्री  खड़ी है सामने

कठवत के पानी को गंगा में बदलने की शक्ति से भरपूर

एक चंगा मन सहेजे अपने भीतर

मोची की आँखों में

सिर्फ़ राँपी नहीं हो सकती है कोई स्त्री

आँखें उठी हुई हैं

इतिहास का एक पन्ना  खड़ा है सामने

पूरे परिदृश्य में सम्मान की तरह

व्यवधान से थोड़ा ऊपर, नीचे थोड़ा आग्रह और निवेदन से

मोची की आँखों में

सिर्फ़ सूजा नहीं हो सकता है कोई पुरुष

आँखें उठी हुई हैं

सामने बच्चे की शक्ल में खड़ा है पुष्पित अनुराग

पंखुड़ी-पंखुड़ी खुलकर  खिलने का सपना परोसता

हास की  सुगंध से सुवासित करता मन को

मोची की आँखों में

सिर्फ़ सूता नहीं हो सकता है कोई भी बच्चा

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.