Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Sneh-Nirjhar bah Gya hai ”, “स्नेह-निर्झर बह गया है” Complete Poem for Class 10 and Class 12

स्नेह-निर्झर बह गया है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Sneh-Nirjhar bah Gya hai – Suryakant Tripathi “Nirala”

स्नेह-निर्झर बह गया है!
रेत ज्यों तन रह गया है।

आम की यह डाल जो सूखी दिखी,
कह रही है – “अब यहाँ पिक या शिखी
नहीं आते; पंक्ति मैं वह हूँ लिखी
नहीं जिसका अर्थ-
जीवन दह गया है।”

“दिये हैं मैने जगत को फूल-फल,
किया है अपनी प्रतिभा से चकित-चल;
पर अनश्वर था सकल पल्लवित पल–
ठाट जीवन का वही
जो ढह गया है।”

अब नहीं आती पुलिन पर प्रियतमा,
श्याम तृण पर बैठने को निरुपमा।
बह रही है हृदय पर केवल अमा;
मै अलक्षित हूँ; यही
कवि कह गया है।

2 Comments

  1. P J Chacko August 22, 2017
  2. P J Chacko August 22, 2017

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