Hindi Poem of Tabish Kamal “ Na Dekhe to suku milta nahi he“ , “न देखें तो सुकूँ मिलता नहीं है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

न देखें तो सुकूँ मिलता नहीं है

 Na Dekhe to suku milta nahi he

हमें आख़िर वो क्यूँ मिलता नहीं है

मोहब्बत के लिए जज़्बा है लाज़िम

ये आईना तो यूँ मिलता नहीं है

हम इक मुद्दत से दर पर मुंतज़िर हैं

मगर इज़्न-ए-जुनूँ मिलता नहीं है

है जितना ज़र्फ़ उतनी पासदारी

ज़रूरत है फ़ुज़ूँ मिलता नहीं है

अजब होती है आइंदा मुलाक़ात

हमेशा जूँ का तूँ मिलता नहीं है

अगर मिलते भी हों अपने ख़यालात

तो इक दूजे से ख़ूँ मिलता नहीं है

वो मेरे शहर में रहता है ‘ताबिश’

मगर मैं क्या करूँ मिलतना नहीं है

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.