Hindi Poem of Trilochan “Pawan Shant nahi hai“ , “पवन शान्त नहीं है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पवन शान्त नहीं है

Pawan Shant nahi hai

देखो शांत खड़े उन आमों को

हिलाए दे रहा है

उस नीम को

झकझोर रहा है

और देखो तो

तुम्हारी कभी साड़ी खींचता है

कभी ब्लाउज़

कभी बाल

धूल को उड़ाता है

बग़ीचों और खेतों के

सूखे तृण-पात नहीं छोड़ता है

कितना अधीर है

तुम्हारे वस्त्र बार बार खींचता है

और तुम्हें बार बार आग्रह से

छूता है

यौवन का ऎसा ही प्रभाव है

सभी को यह उद्वेलित करता है

आओ ज़रा देर और घूमें फिरें

पवन आज उद्धत है

वृक्ष-लता-तृण-वीरुध नाचते हैं

चौपाए कुलेल करते हैं

और चिड़ियाँ बोलती हैं

आओ श्यामा थोड़ा और घूमें फिरें

 

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