Hindi Poem of Amir Khusro’“Chap tilak sab chinhi re , “छाप तिलक सब छीन्हीं रे ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो

Chap tilak sab chinhi re – Amir Khusro

अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई,

जब छबि देखी पी की तो अपनी भूल गई।

 छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के

 बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।

 बलि बलि जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा,

अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।

 प्रेम भटी का मदवा पिलाय के,

मतवारी कर दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।

 गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चूरियाँ

 बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।

 खुसरो निजाम के बलि-बलि जाइए

 मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।

 ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक….।

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