Hindi Poem of Ravindra Bharamar “Man ne chap liya“ , “मन ने छाप लिया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मन ने छाप लिया

 Man ne chap liya

आँखों ने बस देखा भर था,

मन ने उसको छाप लिया।

रंग पंखुरी केसर टहनी नस-नस के सब ताने-बाने,

उनमें कोमल फूल बना जो, भोली आँख उसे ही जाने,

मन ने सौरभ के वातायन से–

असली रस भाँप लिया।

आँखों ने बस देखा भर था

मन ने उसको छाप लिया।

छवि की गरिमा से मंडित, उस तन की मानक ऊँचाई को,

स्नेह-राग से उद्वेलित उस मन की विह्वल तरुणाई को,

आँखों ने छूना भर चाहा,

मन ने पूरा नाप लिया।

आँखों ने बस देखा भर था,

मन ने उसको छाप लिया।

आँख पुजारी है, पूजा में भर अँजुरी नैवेद्य चढ़ाए,

वेणी गूँथे, रचे महावर, आभूषण ले अंग सजाए,

मन ने जीवन-मंदिर में-

उस प्रतिमा को ही थाप लिया।

आँखों ने बस देखा भर था,

मन ने उसको छाप लिया।

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