Hindi Poem of Amitabh Bachchan “ Hamare pas ghar tha“ , “हमारे पास घर था” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हमारे पास घर था
Hamare pas ghar tha

 

हमारे पास घर था
मगर वह अपना नहीं था
घर हमारे लिए सपना भी नहीं था
हमारे पास घर ख़रीदने के पैसे थे

हमारे लिए घर कहीं भाग नहीं रहे थे
घरों के बाज़ार में हम शान से घूम सकते थे
हमने बहुत सारे घर देखे
घर देखने का हमें नशा हो गया

घर के ऊपर हम आज़ाद परिन्दों की तरह उड़ते
हमने देखा लाखों घर ख़ाली थे
और उन्हें हमारा इन्तज़ार था
ख़ाली घरों ने हमारा दिमाग़ ख़राब कर दिया

ये समन्दर वाला लें
या वो जंगल वाला
या पहाड़ से नीचे उतरते हुए
वह जो तुमने देखा था

अरे वह घर तुम इतनी जल्दी भूल गई
घर जहाँ तीन तरफ़ से हवा आती थी
घर जहाँ छह घण्टे सूरज मिलता था

घर जिसे कोई दूसरा घर छुपा नहीं सकता था
वह घर जो दूर से ही दिखता था
तुम उसे भूल गई
वह सस्ता मगर बहुत बड़ा घर

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