Hindi Poem of Kabir ke dohe “Moko Kahan dhunde tu bande mein to tere pas me , “मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे -कबीर

Moko Kahan dhunde tu bande mein to tere pas me -Kabir ke dohe

 

मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।

ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।

नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥

ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।

ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥

खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे

मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे

कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥

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