Hindi Poem of Ramavtar Tyagi “Ja pas molvi ke, “जा पास मौलवी के ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जा पास मौलवी के – रामावतार त्यागी

Ja pas molvi ke -Ramavtar Tyagi

 

जा पास मौलवी के या पूछ जोगियों से।

सूराख पत्थरों में होते न उँगलियों से ।

तिनके उछालते तो बरसों गुज़र गए हैं

अब खेल कुछ नया-सा तू खेल आँधियों से ।

मौसम के साथ भी क्या कुछ बदल गया हूँ

हर रोज पूछता हूँ मैं ये पड़ोसियों से ।

जिस काम के लिए कुछ अल्फाज ही बहुत थे

वह काम ले रहा हूँ इस वक्त गालियों से ।

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