Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Kabhi – kabhi jo niti hame chalna“ , “कभी – कभी जो नीति हमें चलना ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी – कभी जो नीति हमें चलना
Kabhi – kabhi jo niti hame chalna

 

कभी – कभी जो नीति हमें चलना सिखलाती है।
कभी वही हमको इच्छित पथ से भटकाती है।

कभी – कभी मन का सूनापन अच्छा लगता है।
कभी – कभी सूनेपन से तबीयत घबराती है।

कभी – कभी हम भरी भीड़ मे रहे अकेले से,
कभी अकेले में यादों की भीड़ सताती है।

कभी – कभी मिलने की इच्छा पागल कर देती,
कभी – कभी मिल जाने पर तबीयत उकताती है।

कभी – कभी यूँ ही सोचा तत्काल हुआ करता,
कभी – कभी छोटी सी आशा उम्र बिताती है।

कभी – कभी हम ईश्व र के अत्यन्त कृतज्ञ हुये,
कभी – कभी उनके विवेक पर चिढ़ सी आती है।

कभी – कभी खुशियाँ ही मन को विचलित कर देतीं,
कभी – कभी मन की पीड़ा भी मन बहलाती है।

कभी – कभी वर्षों तक कोई गीत नहीं बनता।
कभी – कभी हर पंक्ति स्वयं कविता हो जाती है।

 

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