Hindi Poem of Pradeep “Kabhi Kabhi khud se baat karo“ , “कभी कभी खुद से बात करो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी कभी खुद से बात करो

Kabhi Kabhi khud se baat karo

कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो।

अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो।

कभी कभी खुद से बात करो।

कभी कभी खुद से बोलो।

हरदम तुम बैठे ना रहो -शौहरत की इमारत में।

कभी कभी खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में।

केवल अपनी कीर्ति न देखो- कमियों को भी टटोलो।

कभी कभी खुद से बात करो।

कभी कभी खुद से बोलो।

दुनिया कहती कीर्ति कमा के, तुम हो बड़े सुखी।

मगर तुम्हारे आडम्बर से, हम हैं बड़े दु:खी।

कभी तो अपने श्रव्य-भवन की बंद खिड़कियाँ खोलो।

कभी कभी खुद से बात करो।

कभी कभी खुद से बोलो।

ओ नभ में उड़ने वालो, जरा धरती पर आओ।

अपनी पुरानी सरल-सादगी फिर से अपनाओ।

तुम संतो की तपोभूमि पर मत अभिमान में डालो।

अपनी नजर में तुम क्या हो? ये मन की तराजू में तोलो।

कभी कभी खुद से बात करो।

कभी कभी खुद से बोलो।

 

 

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